रविवार, 9 मई 2010

पुराने दोस्तों से मिलने का दिन

रविवार का दिन पुराने दोस्तों से मिलने का दिन रहा। सबसे पहले आज पप्पू विरजी के ३५ वर्ष पुराने मित्र श्री राकेश राय भैया आये। वे ३५ वर्ष पहले हमारे घर के सामने रहते थे। में तब एक या दो साल का रहा हूँगा। वे अपनी फॅमिली के साथ आये। उनकी पोस्टिंग रायपुर में हुई। उन्होंने सबसे पहला काम अपने पुराने मित्रों को ढूढने का किया। चाईजी ने कुछ देर में उन्हें पहचान लिया। उन्होंने हमारे साथ दोपहर का भोजन किया। इच्छा थी रात का भोजन करते लेकिन उन्होंने अपने घर में किसी को बुलाया था। खैर बरसो पुराने परिचित मिलने का आनंद ही आलग रहता है। ये उस दौर के दोस्त होते है जब स्वार्थ परिचय का कारण नहीं बनता। बल्कि दोस्ती ही एक मात्र कारण होता है। वो सारी यादें आज ताजा हुई। पापू विरजी के एक पुराने मित्र राजू रडके भैया भी राकेश भैया से मिलने आ गए।
राकेश भैया के जाने के आधा घंटे बाद मेरा एक पुराना मित्र अजय प्रसाद आया। वोह मिला तो १० - १२ साल बाद। लेकिन मेरे घर २५ साल बाद आया था। हमने ६ वि क्लास में एक नाटक उल्टा राम किया था उसकी रिहर्सल करने वे मेरे घर आते थे उसके बाद वह आज आया.अच्छा लगा।

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