शनिवार, 22 मई 2010

आशीष केलकर : असामयिक निधन

2१ मई2010
विश्वास नहीं होता आशीष नहीं है। सुबह आफिस जाने की तैयारी कर रहा था। मामीजी आई। उन्होंने चाईजी को बताया रणजीत का रात को एक्सीडेंट हो गया। उसको कुछ मामूली चोटे आई। मैंने तब भी कोई खास ध्यान नहीं दिया। मामीजी ने बताया साथ में एक लड़का बैठा था उसकी डेथ हो गयी। तब में थोडा टेंस हुआ। आजकल आशीष और काकू को रणजीत के साथ देख रहा था। मैंने मामीजी से उस लड़के का नाम पूछा। मामीजी ने जो नाम बताया उसे सुनकर में ऊपर से निचे तक हिल गया। मैंने तुरंत संघर्ष को फोने लगाया। संघर्ष बालाघाट से वापस आ रहा था। उसने इस न्यूज़ को कन्फर्म किया। मै अवाक् रह गया।
कल शाम को मैंने उसे मार्केट में देखा था और हाथ भी हिलाया था। विश्वास नहीं होता मैंने आखिरी बार उसे देखा, उसे हाथ हिलाया था।
पूरी घटना पता चली। आशीष रात १ बजे रणजीत के साथ घर लौट रहा था। चर्च के पास डिवैदर से टकराकर आशीष की तुरंत डेथ हो गयी। रणजीत दूर फेका गया। रणजीत ने बताया उनकी गाड़ी बीच सड़क में आराम से धीरे चल रही थी। मै जनता था आशीष गाड़ी धीमे चलाता था अचानक उसे ऐसा लगा की किसीने उन्हें खीचा हो और वे लोग उस डिवैदर से टकरा गए।
आशीष गाड़ी को बहुत सहेज कर रखता था। रोज गाड़ी को मेन्टेन रखता था। साफसफाई में कोई कमी नहीं रखता था। गाड़ी भी बहुत ही एहतियात के साथ लिमिटेड स्पीड से चलाता था।
आशीष की ७ जून को शादी थी। कल वह होने वाली वाइफ के साथ मार्केटिंग कर रहा था।
सुनते ही साड़ी घटनाये याद आने लगी। उसकी जबरदस्त उर्जा। दोस्तों के लिए हमेशा तैयार रहना। ग्वालियर की एक घटना याद आई। दीपक को सिन्धियाजी की चुनाव रैली में ग्वालियर जाना था। सब लोग स्टेशन पहुच चुके थे । दो तीन लोग नहीं आये। दीपक ने आशीष को फोन किया गाड़ी १० मिनट में चल जाएगी। अगर आ सकता है तो आ जा। वह दीपक को इस कदर मानता था की १० मिनट में वह तैयार हो कर आ गया। ऐसी कई बाते आ कर जा रही थी। लगता था वह आस पास ही मौजूद है।
लेकिन भगवान् अच्छे लोग को जल्दी बुला लेता है। इसलिए शायद उसे भी बुला लिया। संघर्ष इस झटके को कैसे संभालेगा । लेकिन भगवान् सबको इतनी सहनशक्ति देता है।

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