एक मेंढक को उसी के तालाब के पानी से भरे डिब्बे में रख दिया जाये । वह उसी में पड़ा रहेगा। बिलकुल स्थिर। फिर पानी को धीरे धीरे गर्म किया जाये तो पानी के तापमान के क्रमंशः बढने और वातावरण के बदलने का मेंढक पर कोई असर नहीं होता है। और जब पानी खौलने लगता है तो मेंढक मर जाता है क्योंकि वह क्रमंशः बदलते वातावरण/तापमान को महसूस नहीं कर पाया।
दूसरी तरफ मेंढक को यदि खौलते हुए पानी से भरे डिब्बे में फेक दिया जाये तो वह फ़ौरन बहार कूदकर अपनी जान बचा लेगा ।
हम क्रमंशः बदलते संबंधो , बदलाव पर ध्यान नहीं देते है। और सोचते है सब अपने आप ठीक हो जायेगा। लेकिन क्या ऐसा होता है।
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