शनिवार, 26 मार्च 2011

दिखावा ही dhikhava

दिखावा ही दिखावा सब कुछ दिखावा है, इस संसार में कुछ भी नया नहीं है।
सोलोमन ने ३ हज़ार साल पहले कहा था।
आज भी नहीं बदला.

बदलाव पर ध्यान दीजिये.

एक मेंढक को उसी के तालाब के पानी से भरे डिब्बे में रख दिया जाये । वह उसी में पड़ा रहेगा। बिलकुल स्थिर। फिर पानी को धीरे धीरे गर्म किया जाये तो पानी के तापमान के क्रमंशः बढने और वातावरण के बदलने का मेंढक पर कोई असर नहीं होता है। और जब पानी खौलने लगता है तो मेंढक मर जाता है क्योंकि वह क्रमंशः बदलते वातावरण/तापमान को महसूस नहीं कर पाया।
दूसरी तरफ मेंढक को यदि खौलते हुए पानी से भरे डिब्बे में फेक दिया जाये तो वह फ़ौरन बहार कूदकर अपनी जान बचा लेगा ।
हम क्रमंशः बदलते संबंधो , बदलाव पर ध्यान नहीं देते है। और सोचते है सब अपने आप ठीक हो जायेगा। लेकिन क्या ऐसा होता है।

शनिवार, 12 मार्च 2011

दुःख

हमें दुःख तब होता है जब दुसरो से हम यह चाहते है की वे हमें वैसे ही प्यार करे, जिस तरह से प्यार किये जाने की हम कल्पना करते है।
ना की उस ढंग से जिसमे प्यार स्वयं को जाहिर करता है - मुक्त और पाबंदियो के बिना अपनी शक्ति से हमें रास्ता दिखाते और चलते हुआ।

प्यार एक ऐसी बीमारी है

प्यार एक ऐसी बीमारी है जिससे कोई निजात नहीं पाना चाहता है।
जिसको यह पकड़ लेता है वह कभी ठीक नहीं होना चाहता है।
और
जो इसे झेलता है वह कभी निरोग नहीं होना चाहता है।

मंगलवार, 8 मार्च 2011

भाग्य से ज्यादा समय से पहले कुछ नहीं मिलता.

एक किसान मठ में गया। उसने मठ का दरवाजा खटकाया। सन्तरी ने दरवाजा खोला। किसान ने उसकी ओर अंगूरों का एक खुबसूरत गुच्छा बढाया
"भाई ये मेरे खेत के सबसे अच्छे अंगूर है। कृपया ये मेरी तरफ से उपहार के तौर पर स्वीकार करे। "
"अरे मेरे लिए! क्यों? बहुत बहुत शुक्रिया। मै इनको लेकर सीधा गुरूजी के पास ले जा कर रख दूंगा। वे इन्हें पाकर गदगद हो जायेंगे। "
"नहीं ये मै तुम्हारे लिए लाया हु। '
'मेंरे लिए लेकिन मै तो इन उपहारों को पाने लायक ही नहीं हु।'
'जब जब मैने परेशानी में दरवाजा खटखटाया तुमने दरवाजा खोला। हमारी फसले बर्बाद हुई तुमने हमें रोटी खिलाई हमें पिने को चाय दी। मै चाहता हु यह अंगूर का गुच्छा तुम्हारी भलमनसाहत के लिए तुम्हे ख़ुशी दे सके।'
सन्तरी बहुत खुश हुआ। उसने वे अंगूर को सामने रख दिया। पूरी रात उसने किसान की तारीफ में बिता दी। वह रात भर उन्हें दुवाये देता रहा।
सुबह उठ कर उसने तय किया ये अंगूर गुरूजी को समर्पित करना तय किया। जिनके विचार, शब्द उसके लिए एक वरदान की तरह थे।
अंगूरों को पाकर गुरूजी बहुत प्रसन्न हुए। लेकिन उसे ध्यान आया की उसका एक शिष्य बीमार है। उसने सोचा मै यह अंगूर उसे दूंगा, कौन जाने ये अंगूर इसके स्वास्थ में चमत्कारी परिवर्तन ला दे। यह उसको ख़ुशी दे सके।
लेकिन ये अंगूर उस शिष्य के कमरे में भी ज्यादा देर तक नहीं रह पाए। उसने सोचा ;
'रसोइया मेरा कितना ख्याल रखता है मेरी बीमारी में भी मेरे खाने का मेरे स्वास्थ का कितना ध्यान रखता है। मुझे पूरा यकीं है ये अंगूर उसे ख़ुशी देंगे। '
ओर जब रसोइया दोपहर का खाना देने आया, उस शिष्य ने अंगूर उसे दे दिए।
' ये तुम्हारे लिए है। तुम लोगो को वो चीज देते हो जिसकी उनको जिंदगी में सबसे ज्यादा जरुरत रहती है। ये अंगूर तुम्हे सबसे ज्यादा ख़ुशी देंगे । तुम ही समझ सकोगे की इन अंगूरों को क्या करना है।'
अंगूरों को देख कर रसोइया अवाक् रह गया। उसे ये इतने अच्छे लगे की उसने सोचा की इसकी सराहना गुरूजी के सबसे करीब सेवक के अलावा कोई नहीं कर सकता। इस सेवक को मठवासी सबसे अच्छा संत मानते है।
उस सेवक ने ये अंगूर नए नए आये शिष्य को दे दिए ताकि वो नवागंतुक यह सीखे की ईश्वरीय कार्य श्रृष्टि की छोटी छोटी चीजो में दीखे ।
नवागंतुक अंगूर पाकर ईश्वरीय महिमा से भर गया। उसने इतना सुन्दर गुच्छा कभी नहीं देखा था। साथ ही उसे वह दिन भी यद् आया जब उसने पहली बार मठ में प्रवेश किया था। जब सन्तरी ने दरवाजा खोला था जिस प्रेम से उसने मेरा स्वागत किया था ओर मेरा परिचय इस प्रवित्र जगह प्रवित्र लोगो से कराया था।
अँधेरा होने से पहले वह उन अंगूरों को लेकर सन्तरी के पास गया। उससे कहा भैय्या ये अंगूर लो तुम अपना अधिकतर समय अकेले बिताते हो इन्हें खा कर तुम्हे अच्छा लगेगा।
सन्तरी ने उन अंगूरों को ले लिया ओर समझ गया की ये उपहार उसके लिए है। उसने इसे इश्वरिये उपहार समझ कर एक एक अंगूर आन्नद के साथ खाया।
आपका हिस्सा कोई आपसे छीन नहीं सकता। आपका हिस्सा आपको ही मिलेंगा। देने की कला सीखे।

शनिवार, 5 मार्च 2011

क्या मै खुश हु

कुछ लोग सुखी दीखते है। लेकिन वे इस पर अधिक नहीं सोचते है। योजनाये बनाते है।
कोई सोचती है की मेरा एक पति होगा, एक घर होगा, दो बच्चे होगे, एक अच्छाघर होगा।
वे यहो हासिल करने में लगे रहते है। वे मनमाफिक प्रतिक्रिया करते है, वे ग़लतिया करते है। लेकिन वे नहीं जानते मंजिल कहा है। वे कार खरीद लेते है कभी कभी फरारी भी। वे सोचते है की जीवन का अर्थ यही है। वे इस पर कोई सवाल नहीं करते है बस जिए जाते है।
लेकिन ......
उनकी आँखों में उदासी दिख जाती है। वे नहीं जानते है की उस उदासी को वो अपनी आत्मा मै समाये घूम रहे है।
सारे के सारे व्यस्त है ओवर टाइम करते है अपने बच्चे अपने पति अपने कैरियर अपनी डिग्री के बारे में चिंता में लगे है ताकि वे कुछ खरीद सके ताकि वे किसी से कम या निचे न लगे।
कम लोग जानते है की वे दुखी है ज्यादातर कहते है की मै अच्छा हु मेरे पास वह सब कुछ है जो मै चाहता हु घर परिवार, कम, अच्छी सेहत, सब कुछ।
क्या इस सभी से ही ख़ुशी मिलती है। बच्चे जो बड़े हो कर आपको छोड़ देंगे । पत्नी जो एक प्रेमी प्रेमिका की जगह सिर्फ एक दोस्त ही बन जाएगी। एक दिन आपके काम का अंत हो जायेगा।
हम हमेशा उस चीज के बारे में बात करने लगते है जो हमारे पास नहीं है
एक व्यापारी उस सौदे के बारे में बात करता है जो की वह अभी तक नहीं कर पाया है।
घरेलु लड़की ज्यादा आज़ादी ज्यादा पैसा चाहती है
प्यार में डूबा लड़का अपनी महबूबा को खो देने के ख्याल से भयभीत रहता है।
छात्र सोचता है की इस कैरियर को उसने चुना या उसके लिए किसी दुसरे ने । क्या वो यही कैरियार को चुनना चाहता था। या वो क्या चाहता था
दांतों का डाक्टर गायक बन ना चाहता है। गायक नेता बनना चाहता है, नेता लेखक बनना चाहता है जब आप उससे मिलते है जो वही करता है जो की वह करना चाहता था। वो भी शांत नहीं है उसकी आत्मा मै भी अशांति है उससे पूछिये क्या वो खुश है।

upkar bank

उपकार बैंक दुनिया का सबसे बड़ा, सबसे ताकतवर बैंक। हर कोई जनता है इस बारे मे। इसे जीवन के हर क्षेत्र में पायेगे।
एक उदहारण से इसे समझिये।
आप के उभरते लेखक है। एक दिन आप बहुत प्रतिभाशाली हो जाओगे। मै तुम्हारी मदद करना चाहता हु। मै तुम्हारे खाते में जमा करना शुरू कर देता हु। नकदी नहीं। बल्कि संपर्क। मै तुम्हे अनेक लोगो से मिलाता हु। कुछ गोटिया बैठाता हु। तुम जान जाते हो की तुम पर मेरा कुछ कर्ज है। लेकिन मै तुमसे कुछ नहीं मांगता। फिर एक दिन मै तुमसे एक तरफदारी करने के लिए कहता हु। और तुम निःसंदेह नहीं भी कह सकते हो। तुम जानते हो की तुम मेरे कर्जदार हो। तुम वह करते हो जो मै करने के लिए कहता हु। मै तुम्हारी लगातार मदद करता हु। दुसरे लोग देखते है की तुम एक भले, वफादार किस्म के इन्सान हो और इसीलिए वे भी जमा करते है हमेशा संपर्क के रूप में। दुनिया संपर्को से बनी है बस संपर्को से और किसीसे नहीं। एक दिन वो भी तुमसे तरफदारी मांगेगे। जिन लोगो ने तुम्हारी मदद की तुम उनकी इज्ज़त और मदद करते हो। और वक्त के साथ तुम्हारा जाल सारी दुनिया में फ़ैल जायेगा। और तुम्हारा प्रभाव बढता जायेगा।
यदि आप इंकार करते है तो :
उपकार बैंक एक जोखिम भरा निवेश है। किसी भी अन्य बैंक की तरह। जैसे मैंने जो मदद तुमसे मांगी है तुम वो मदद देने से इसीलिए इंकार करसकते हो की मैंने तुम्हारी मदद इसीलिए की थी की तुम मदद के लायक थे। तुम्हारी प्रतिभा को कोई भी पहचान सकता है।
ठीक है मै तुम्हारा बहुत शुक्रिया अदा करता हु। मै किसी अन्य से कहता हु, जिसके खाते मै मैंने बहुत सारे उपकार जमा किये है। हालाँकि इसके बाद मै तुमसे एक शब्द भी नहीं कहूँगा, पर हर कोई जन लेगा की तुम पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
तुम जितना बढ़ सकते थे उससे आधा बढ़ पाओगे और उतना तो निश्चित तौर पर नहीं जितना की तुमने चाह होगा। एक जगह आकर तुम नीचे जाने लगोगे। तुम आधे खुश हो और आधे दुखी। तुम न तो निराश हो न ही सफल।